Tuesday, December 28, 2010

॥ केशव कृपा निधान ॥


प्रभु भक्ति के भाव से,
होता धर्म कर्म का ज्ञान।
मेरे मन मन्दिर आन बसे,
केशव कृपा निधान॥

कान्हा प्रेम कि आस है,
यह सत्संग रूपी नाव।
नाम बड़ा इस जगत में,
कृष्ण कृपा की छाँव॥

प्रीत मोहन से जो हो गयी,
अब न रही कोई चाह।
भक्ति-पथ पर जो चल दिया,
उसे गोविन्द दिखाये राह॥

कान्हा मधु मुस्कान से,
हर क्षण प्रेम लुटाय।
सब भय वाधा मिट जाये,
जब सांवरा हो सहाय॥

एक काज कर मन मेरे,
बस श्याम नाम का जाप।
श्याम नाम से मिट सके,
जीवन के सब पाप॥

हाथ जोड़ विनती करूं,
मेरे मनमोहन घनश्याम।
श्वांस-श्वांस में रमा रहे,
हे गिरधर तेरा नाम॥