Tuesday, January 25, 2011

॥ प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी ॥


कान्हा की छवि अति प्यारी है,
श्याम रंग की शोभा न्यारी है।
उस रूप सुधारस से मन का,
प्याला भर देंगे कभी न कभी।
राधा के मनमोहन घनश्याम,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥

जो दीनों के परम धाम हैं,
जो केवट और सबरी के धाम है।
ऎसा रूप बनाकर उस घर में,
जा ठहरेंगे हम कभी न कभी।
मीरा के गिरधर गोपाल,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥

करूणानिधि जिनका नाम है,
जो भवसागर से करते पार हैं।
उनकी करुणा कृपा पाकर,
पार पहुँचेंगे हम कभी न कभी।
गोपीयों के माधव कन्हैया,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥

द्वार पर उसके खड़े हो जायें,
भक्ति में उसकी दृड़ हो जायें।
हम बिन्दु भी उस सिन्धु में,
मिल जायेंगे कभी न कभी।
करुणा के सागर दीनानाथ,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥

Monday, January 24, 2011

॥ कृष्ण नाम के हीरे मोती ॥


कृष्ण नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊँ गली गली।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

माया के दीवानों सुन लो, एक दिन ऐसा आएगा।
धन दौलत और माल खजाना, यहीं पड़ा रहा जाएगा॥
सुन्दर काया माटी होगी, चरचा होगी गली गली।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

क्यों करता है मेरा मेरा, यह तो तेरा मकान नहीं।
झूठे जग में फॅंसा हुआ है, वह सच्चा इन्सान नहीं॥
जग का मेला दो दिन का है, अन्त में होगी चलाचली।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

जिन जिन ने ये मोती लूटे, वे तो मालामाल हुए।
धन दौलत के बने पुजारी, आखिर में बेहाल हुए॥
चॉंदी सोने वाले सुन लो, बात सुनाऊँ खरी खरी।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

दुनिया को तू कब तक पगले, अपनी कहता जाएगा।
गोविन्द को तू भूल गया है, अन्त समय पछताएगा॥
दो दिन का यह चमन खिला है, फिर मुरझाए कली कली।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

Sunday, January 23, 2011

॥ निर्मल मन का दर्पण ॥


श्याम नाम के साबुन से, जो मन का मैल छुड़ायेंगे।
निर्मल मन के दर्पण में, वह कृष्ण का दर्शन पायेंगे॥

हर प्राणी में कृष्ण बसे हैं, क्षण भर हम से दूर नहीं।
देख सके न इन आँखों से, इन आँखों में नूर नहीं॥
देंखे वह मन मन्दिर में, जो प्रेम की ज्योति जलायेंगे।
निर्मल मन के दर्पण में, वह कृष्ण का दर्शन पायेंगे॥

मानव शरीर अनमोल है, यह हरि कृपा से पाया है।
जग के प्रपंच में पड़कर, क्यों प्रभु को विसराया है॥
वक्त हाथ से निकल गया तो, अंत समय पछतायेंगे।
निर्मल मन के दर्पण में, वह कृष्ण का दर्शन पायेंगे॥

झूँठ कपट निन्दा को छोड़ें, हर प्राणी से प्यार करें।
घर आये संतो की सेवा से, कभी नहीं इन्कार करें॥
न जाने किस रूप में हमको, नारायण मिल जायेंगे।
निर्मल मन के दर्पण में, वह कृष्ण का दर्शन पायेंगे॥

साधना अभी कच्ची है, जब तक प्रभु पर विश्वास नहीं।
मंजिल पर पहुँचेंगे कैसे, दीप में जब तक प्रकाश नहीं॥
निश्चय है तो भव-सागर से, सहज ही पार हो जायेंगे।
निर्मल मन के दर्पण में, वह कृष्ण का दर्शन पायेंगे॥

संपत्ति का अभिमान है झूठा, यह तो आनी-जानी है।
राजा रंक अनेक हुए, कितनो की सुनी कहानी है॥
प्रभु नाम के प्रिय मंत्र ही, केवल साथ हमारे जायेंगे।
निर्मल मन के दर्पण में, वह कृष्ण का दर्शन पायेंगे॥

Friday, January 21, 2011

॥ कान्हा से प्रीत ॥


कृष्णा से प्रीत बढ़ाने वालों,
प्रभु नाम को जपने वालों,
भाव निष्काम होने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

बुद्धि की बात मानने वालों,
मन की बात न सुनने वालों,
कर्म निष्काम होने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

घड़ियाली आँसू बहाने वालों,
मोतीयों को व्यर्थ लुटाने वालों,
कर्तव्य-कर्म करने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

तन को स्वयं समझने वालों,
धन को अपना समझने वालो,
अश्रु निष्काम बहने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

कान्हा के लिये तड़पने वालों,
जीवन का अर्थ समझने वालों,
शत्रु को मित्र समझने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

भक्ति का अर्थ न जानने वालों,
जीवन को खेल समझने वालों,
माँ-बाप की बात मानने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

मूर्ति को भगवान समझने वालों,
माला को भक्ति मानने वालों,
हर सूरत में ईश्वर देखने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

Monday, January 3, 2011

॥ आईये प्रभु आईये ॥


गोविन्द के गुन गाईये, गोपाल के गुन गाईये,
द्वार मन के खोल कहिये, आईये प्रभु आईये,
आईये प्रभु आईये, आईये प्रभु आईये॥

याद आया याद आया, रात काली मोह माया,
शीर्ष पर आतंक छाया, कंस कारागार काया,
सूर्य आत्मा का हमें, साकार कर दिखलाईये,
आईये प्रभु आईये, आईये प्रभु आईये॥

कालिया का नाम काया, नाग काला नाथ डाला,
नन्द गोकुल में उजाला, दिव्य कर दी गोपी बाला,
मेघ मोहन माधुरी, आनन्द घन बरसाईये,
आईये प्रभु आईये, आईये प्रभु आईये॥

चीर को प्राचीर करिये, धर्म रथ को धीर करिये,
नीति को गंभीर करिये, भीरु नर को वीर करिये,
ज्ञान से विज्ञान से, नर को अमर कर जाईये,
आईये प्रभु आईये, आईये प्रभु आईये॥

गोविन्द के गुन गाईये, गोपाल के गुण गाईये,
द्वार मन के खोल कहिये, आईये प्रभु आईये,
आईये प्रभु आईये, आईये प्रभु आईये॥

Sunday, January 2, 2011

॥ प्रभु हमारे साथ होते हैं ॥


जब भी किसी को दुखी देखकर,
हृदय द्रवित हो जाता है तब,
आंखो से अश्रु बिन्दु झलकते हैं,
तब कृष्ण हमारे साथ होते हैं।

जब भी किसी का प्यार पाकर,
दिल में हलचल मच जाती है तब,
हृदय से भाव-विभोर हो जाता हैं,
तब गोपाल हमारे साथ होते हैं।

जब भी किसी को सुखी देखकर,
दिल प्रफुल्लित हो जाता है तब,
मन में प्रसन्नता छा जाती है,
तब मोहन हमारे साथ होते हैं।

जब भी किसी को संकट में पाकर,
मन विचलित हो जाता है तब,
हृदय प्रेम भाव से भर आता है,
तब श्याम हमारे साथ होते हैं।

जब भी प्रभु को यादों में देखकर,
प्रेम की बदली छा जाती है तब,
मन परम-आनन्दित हो जाता है,
तब नन्दलाल हमारे साथ होते हैं।

Saturday, January 1, 2011

॥ तुम ही तुम हो ॥


प्रभु फरियाद करूँ मैं किससे,
जबकि हर कण में तुम ही तुम हो।
हर प्राणी हर जगह तुम्हारी शक्ति,
हर दिल में तुम ही तुम हो॥

तुम से ही महके मेरा मन आँगन,
तुम से ही झूमें मेरा चितवन।
तुम ही मेरी आत्मा की ज्योति,
जबकि प्रकाश भी तुम ही तुम हो॥

तुम से ही हर छा जाती हैं बहारें,
जबकि फ़िजाओं में तुम ही तुम हो।
हर नजरों में नूर तुम्हारा समाया,
हर नजाकत में तुम ही तुम हो॥

हर वस्तु में तुम्हारा रूप समाया,
तुम से ही यह रंग-बिरंगी छाया।
तुम ही मेरी दिल की हर धड़कन,
जबकि श्वांस भी तुम ही तुम हो॥

तुम से ही हर अमृत बरस रहा,
जबकि हर सुधा तुम ही तुम हो।
हर मन्दिर में छवि छायी तुम्हारी,
हर दिल में सिर्फ़ तुम ही तुम हो॥

हर हृदय में होती चाहत तुम्हारी,
तुम से ही लगती लगन हमारी।
तुम ही मेरी हर प्रार्थना में रहते,
जबकि शब्द भी तुम ही तुम हो॥

तुम से हर श्वांस का साज सजा,
जबकि हर झंकार तुम ही तुम हो।
हर देह तुम्हारी ही सितार बनी,
हर तार गुंजार में तुम ही तुम हो॥

मेरी मन वाणी आत्मा हमारा,
विश्वास दिलाता एहसास तुम्हारा।
तुम ही मेरे दिल के हो दिलबर,
जबकि दिलदार तुम ही तुम हो॥