Monday, January 24, 2011

॥ कृष्ण नाम के हीरे मोती ॥


कृष्ण नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊँ गली गली।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

माया के दीवानों सुन लो, एक दिन ऐसा आएगा।
धन दौलत और माल खजाना, यहीं पड़ा रहा जाएगा॥
सुन्दर काया माटी होगी, चरचा होगी गली गली।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

क्यों करता है मेरा मेरा, यह तो तेरा मकान नहीं।
झूठे जग में फॅंसा हुआ है, वह सच्चा इन्सान नहीं॥
जग का मेला दो दिन का है, अन्त में होगी चलाचली।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

जिन जिन ने ये मोती लूटे, वे तो मालामाल हुए।
धन दौलत के बने पुजारी, आखिर में बेहाल हुए॥
चॉंदी सोने वाले सुन लो, बात सुनाऊँ खरी खरी।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥

दुनिया को तू कब तक पगले, अपनी कहता जाएगा।
गोविन्द को तू भूल गया है, अन्त समय पछताएगा॥
दो दिन का यह चमन खिला है, फिर मुरझाए कली कली।
लेलो रे कोई मोहन का प्यारा, शोर मचाऊँ गली गली॥